सिर्फ बेटी !!
वो जो कवितायेँ लिखा करती थी ,
जो खिलखिला के हंसती थी
वो जो घर के आँगन में रस्सी कूदा करती थी
जो माँ कि लाड़ली और
पिता कि लाडो थी घर कि गुड़िया
भैया कि छोटी और दादी कि पोती!
पड़ोस वाली अम्मा कि बिटिया और
कोने कि दूकान वाले चाचा कि टॉफ़ी चोर
कहाँ गयी वो लड़की
जो वो सब थी,
जो सब चाहते थे!
क्यूँ आज वो सिर्फ लड़की है !
क्यूँ वो सिर्फ एक जवान लड़की है जिसकी शादी कि उम्र है
क्यूँ अब वो किराने कि दूकान
वो बगल वाले घर में जाना उसे मना है
क्यूँ वो अब आँगन में रस्सी नहीं कूदती
क्यूँ उसका दुपट्टा ओढ़ना ज़रूरी पर खिलखिलाना नहीं
क्या अब वो उनकी लाडो,बिटिया,गुड़िया ,छोटी नहीं रही
क्यूँ अब उसे सिर्फ भावी दुल्हन के रूप में देखते हैं सब
क्यूँ लड़कियां सिर्फ शादी के लिए ही बनती हैं
क्यूँ वो बिना शादी के अधूरी और पराई होती हैं
भैया को मिले नौकरी तो लड्डू बाटें
और लड़की कर ले एम् ऎ तो लगे कि ज्यादा पढ़ ली !!
जब उसने कहा मुझे प्यार है तो घर में बंद कर दो
और बेटा लाये फिरंगी बहु तो ब्याह कर दो
क्यूँ बेटियां सिर्फ बहु बनने के लिए होती हैं
क्यूँ वो सिर्फ बेटी बन के नहीं रह सकती !!!
मृदुला
09 -04-2014
10 . 43pm
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