स्चिजोफ्रेनिया/SCHIZOPHRENIA..2.


शून्य मे ताकती वो निगाहें
खामोशी मे डूबी हर सांस
हर बीतते क्षण के साथ
कम होती धडकनों की रफ़्तार ..
सुनामी के बाद थके हुए प्रशांत
के समान |

न कोई साथी न सम्बन्ध
तमस से भरा हर सवेरा
रोती बिलखती उम्मीदें
और छिनता आसमान |

न कोई इच्छा न अपेक्षा
न संवाद न बात
सत्य से कोसों परे
स्वप्नों की दुनिया..
और अपरिचित आवाजों का शोर..

हर वक़्त बस उस...
काल्पनिक भय मे जीना
रोना..चीखना
चिल्लाना फिर शांत होना..
मौत भी डरकर शायद न आये..
इतनी बदतर ज़िन्दगी....
किलासती बिलखती यही कहती
ख़तम कर दो मुझे....

बेवजह के संशय ..
अप्रत्याशित डर से सहमी आंखें
भ्रमित विचारधारा
परछाइयों और सायों से घिरा वो शख्स...

हर पल मानो कोसता हो
अपने जिंदा वजूद को..
ये दशा है एक
विखण्डित मानसिकता* के
रोगी की...
जिसका अस्तित्व हर पल
प्रतीक्षारत है...
मौत से आलिंगन को |



*विखण्डित मानसिकता = SCHIZOIPHRENIA.....

*mridula
May 24

Comments

  1. kyun hota hai kisi ke sath ki vo itni duvidha me padh jayee..?

    let god bless all..

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