why me!!!! ये मेरे साथ ही क्यूँ होता है ! जब जिस राह ख़ुशी मिले.. ग़म का घर अगले मोड़ पर होता है... वो शख्स जो एक पल को लगे अपना.. अगले ही पल अजनबी होता है...l जब भी करना चाहूँ भरोसा... तकदीर की नीयत से डर लगता है.. क्यूंकि हर बार विश्वास का .. अंजाम ऐ ज़िन्दगी अश्क ही होता है...l छोटी हो या बड़ी...ख़ुशी जब भी मिली.. एक अधूरी मुस्कान के साथ.. पूरा हो जाये मेरा कोई अरमान.. शायद ही ऐसा कभी होता है l जिसने भी किया वादा मुझसे निभा न पाया उसे.. कभी हालातों कभी तकदीर का खेल मेरे साथ ही होता है.. जब जिस राह ख़ुशी मिले ग़म का घर अगले मोड़ पर होता है...l दामन यूँ तो बेदाग़ नहीं मेरा भी मगर.. औरों की सज़ा का हक़दार भी मेरा ही वजूद होता है l करके वादा न तोड़ा कभी.. न की कभी बेवफाई... क्यूँ किसी और की ग़लतफ़हमी का शिकार.. मेरा प्यार होता है..l हद हो चुकी अब तो सब्र ऐ ज़िन्दगी की बख्श मुझे,अब और ज़ब्त नहीं... न दे सकी तू कोई सच्चा साथी तो इतना रहम कर.. हर उम्मीद से मुझे रुसवा कर.. इस जिस्म की कैद से आजाद कर दे...... की बस एक लाश ही तो है जिसे न दर्द होता है न ख़ुशी की आरजू.. न जिंदा रहने की मजबूरी.. और न ही.. कोई इंतज़ार होता है..l

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