why me!!!! ये मेरे साथ ही क्यूँ होता है ! जब जिस राह ख़ुशी मिले.. ग़म का घर अगले मोड़ पर होता है... वो शख्स जो एक पल को लगे अपना.. अगले ही पल अजनबी होता है...l जब भी करना चाहूँ भरोसा... तकदीर की नीयत से डर लगता है.. क्यूंकि हर बार विश्वास का .. अंजाम ऐ ज़िन्दगी अश्क ही होता है...l छोटी हो या बड़ी...ख़ुशी जब भी मिली.. एक अधूरी मुस्कान के साथ.. पूरा हो जाये मेरा कोई अरमान.. शायद ही ऐसा कभी होता है l जिसने भी किया वादा मुझसे निभा न पाया उसे.. कभी हालातों कभी तकदीर का खेल मेरे साथ ही होता है.. जब जिस राह ख़ुशी मिले ग़म का घर अगले मोड़ पर होता है...l दामन यूँ तो बेदाग़ नहीं मेरा भी मगर.. औरों की सज़ा का हक़दार भी मेरा ही वजूद होता है l करके वादा न तोड़ा कभी.. न की कभी बेवफाई... क्यूँ किसी और की ग़लतफ़हमी का शिकार.. मेरा प्यार होता है..l हद हो चुकी अब तो सब्र ऐ ज़िन्दगी की बख्श मुझे,अब और ज़ब्त नहीं... न दे सकी तू कोई सच्चा साथी तो इतना रहम कर.. हर उम्मीद से मुझे रुसवा कर.. इस जिस्म की कैद से आजाद कर दे...... की बस एक लाश ही तो है जिसे न दर्द होता है न ख़ुशी की आरजू.. न जिंदा रहने
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सिर्फ बेटी !! वो जो कवितायेँ लिखा करती थी , जो खिलखिला के हंसती थी वो जो घर के आँगन में रस्सी कूदा करती थी जो माँ कि लाड़ली और पिता कि लाडो थी घर कि गुड़िया भैया कि छोटी और दादी कि पोती! पड़ोस वाली अम्मा कि बिटिया और कोने कि दूकान वाले चाचा कि टॉफ़ी चोर कहाँ गयी वो लड़की जो वो सब थी, जो सब चाहते थे! क्यूँ आज वो सिर्फ लड़की है ! क्यूँ वो सिर्फ एक जवान लड़की है जिसकी शादी कि उम्र है क्यूँ अब वो किराने कि दूकान वो बगल वाले घर में जाना उसे मना है क्यूँ वो अब आँगन में रस्सी नहीं कूदती क्यूँ उसका दुपट्टा ओढ़ना ज़रूरी पर खिलखिलाना नहीं क्या अब वो उनकी लाडो,बिटिया,गुड़िया ,छोटी नहीं रही क्यूँ अब उसे सिर्फ भावी दुल्हन के रूप में देखते हैं सब क्यूँ लड़कियां सिर्फ शादी के लिए ही बनती हैं क्यूँ वो बिना शादी के अधूरी और पराई होती हैं भैया को मिले नौकरी तो लड्डू बाटें और लड़की कर ले एम् ऎ तो लगे कि ज्यादा पढ़ ली !! जब उसने कहा मुझे प्यार है तो घर में बंद कर दो और बेटा लाये फिरंगी बहु तो ब्याह कर दो क्य
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